हास्टल में रहते हुए अक्सर अपने मन का जीने को मिलता है। जब जीने को मिले तो जी लेना चाहिए। कल किसने देखा है। और इसी कड़ी में एक शाम की बात है कि हम तीन सहेलियों ने ड्रिंक करने का प्रोग्राम बनाया। एक दुकान से रायल स्टैग का हाफ बाटल खरीदने के बाद चिकन तंदूरी और दूसरे स्नैक्स लिए। रात में पीना शुरू किया। एक सहेली तो पहली बार पी रहे थी सो उसे पहले ही पैग के बाद अच्छा खासा नशा हो गया। सबने ड्रिंक को खूब इंज्वाय किया। मैंने तीन पैग पिये। फिर शुरू हुआ गीत संगीत का सिलसिला। बातों बातों में एक रोने लगी। उसके ब्वायफ्रेंड ने उसे बिच कह दिया था। उसे हमने समझाया, इन कुत्तों के लिए क्यों रोती हो। हमारी दिक्कत यही है कि हम भावुक ज्यादा होते हैं, दूसरों पर भरोसा जल्दी कर लेते हैं। दुनिया ऐसी नहीं है। खुद की जिंदगी अपने हाथों से लिखो। दूसरो के कहने सुनने के आधार पर अपनी जिंदगी की दशा-दिशा को न बदलो और न बनाओ। पहले खुद तय करना चाहिए कि हमें करना क्या है, हमारे लायक कौन है, हमारी पर्सनाल्टी कैसी है.....।
सुबह उठकर सबने कहा, कल की रात बहुत अच्छी गुजरी। ये बातें आप लोगों को खराब लगेगी कि लड़कियां शराब पीती हैं। पर क्यों न पिये। पीने का सुख क्या मर्द ही उठाएंगे। हम गंदी लड़कियां चाहती हैं अपने तरीके से जीना।
2 comments:
Sharab peena utna hi bura ya achha hai jitna ki aap use samajhte ho.
आप बहुत अच्छा लिखती हैं / आप काफी दिनों से ब्लॉग अपडेट नहीं कर रही /
नया लिखे/ हम तुम्हारे साथ हैं/
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